भाषा के कितने रूप होते हैं, मौखिक, लिखित और सांकेतिक भाषा उदहारण सहित: दुनिया में कई तरह कि भाषा मौजूद है। हर देश और क्षेत्र की भाषा अलग-अलग है। भाषा एक ऐसा जरिया है जिसकी मदद से हम दूसरो को अपने विचारो को बता सकते है। भाषा को व्यक्त करने का सबसे प्रमुख माध्यम होठ है जिसकी मदद से हम लोगो के बीच संचार को संभव बना पाते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो भाषा एक ऐसा जरिया है जिसकी मदद से हम किसी व्यक्ति, समूह को अपने विचारों, ज्ञान और भावना को व्यक्त कर सकते हैं। भाषा किसी भी व्यक्ति या समूह के विचारों, भावना और ज्ञान को व्यक्ति करने का एक जरिया होती है। अपने मुख से अपने विचारो को व्यक्त करने के लिए वाचिक ध्वनियों का उपयोग किया जाता है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को अपने मन की बात कहने के लिए भाषा बहुत जरुरी होती है। क्योंकि यह मन से निकलने वाले शब्दों और वाक्यों का समूह है जिससे कि हम किसी व्यक्ति के सामने रख पाते हैं।

भाषा किसी को अपनी भावना बताने का एक ऐसा तरीका है जिसे मौखिक, लिखित और सांकेतिक रूप में भी उपयोग किया जाता है। किसी भी भाषा को उपयोग करने के लिए आपको उस भाषा का ज्ञान होना बेहद आवश्यक होता है।
किसी भी भाषा को व्यक्त करने के कई रूप हो सकते हैं। अगर आप भाषा के रूपों के बारे में जानना चाहते हैं तो यह लेख अपने बहुत काम का है। इस लेख में हम आपको बताएँगे कि भाषा के कितने रूप होते हैं।
भाषा के कितने रूप होते हैं (Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain)
भाषा हमारे विचारों को आदान प्रदान करने का एक माध्यम है। भाषा के मुख्य 3 रूप होते हैं लिखित और सांकेतिक। भाषा के इन सभी रूपों से हम अपने भाव को दूसरों को व्यक्त कर सकते हैं और उनके भाव को समझ सकते हैं।
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा
आइये अब जानते हैं भाषा के तीनो रूप के बारे में।
1. मौखिक भाषा
मौखिक भाषा वह होती है जिसे हम अपने मुख से बोलते हैं। यह भाषा का वो रूप है जिसमे हम अपने दिमाग में चल रहे विचारों को दूसरे व्यक्ति के सामने अपने मुख से बोलकर बताते हैं। मौखिक भाषा में दुनिया की वे सभी भाषा आती है जो कि हम अपने मुख से बोलते हैं। जब हम किसी व्यक्ति से फ़ोन पर बात करते हैं तो हम मौखिक भाषा के द्वारा ही अपने विचार दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा रहे होते हैं। इस तरह जब न्यूज़ चेनल पर एंकर बोलकर अपनी बाते टेलीविजन के माध्यम से हम तक पहुंचता है तो यह भी मौखिक भाषा का ही एक उदहारण है। सीधे शब्दों में कहें तो ऐसी भाषा या बोली जिसे हम अपने मुख से निकलने वाले शब्दों या वाक्यों की मदद से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं उसे हम मौखिक भाषा कहते हैं। मौखिक भाषा का उपयोग कई युगों से मनुष्यों द्वारा किया जा रहा है।
उदाहरण
रेडियो स्टेशन पर काम करने वाला जॉकी रेडियों सिग्नल के माध्यम से अपनी बात कई लोगो तक पहुंचता है।
2. लिखित भाषा
जब हम लिखकर किस बात को या अपने विचार को दूसरे व्यक्ति के साथ व्यक्त करते हैं तो उसे भाषा का लिखित रूप कहा जाता है। इसमें हम अपने बात को लिखने के लिए लिखकर कहते हैं। इसलिए इसे लिखित भाषा कहा जाता है। जब हम किसी भी व्यक्ति को अपने विचार लिखित रूप में कहते हैं तो दूसरा व्यक्ति इसे तभी समझ सकता है जब उसे उस भाषा का ज्ञान हो। आजकल कर whatsapp का उपयोग मेसेजिंग के लिए बहुत ज्यादा किया जाता है। जब भी हम whatsapp पर किसी को मेसेज टाइप करके सेंड करते हैं तो यह भी एक लिखित भाषा का ही एक रूप है। लिखित भाषा का रूप कई युगों से किया जा रहा है। पुराने जमाने में लिखित भाषा का उपयोग पत्र लिखकर भी किया जाता था। लिखित भाषा कि एक बहुत ही खास बात होती है कि यह भाषा लंबे समय तक मौजूद रहती है। वहीँ मौखिक भाषा काफी कम समय तक रहती है।
उदाहरण
जो हम मोबाइल पर टेक्स्ट मेजेस भेजते हैं तो लिखित भाषा का एक रूप है। इसके अलावा जब हम इंटरनेट के माध्यम से किसी को मेसेज भेजते हैं तो यह भी लिखित भाषा ही है। समाचार पत्र, पुराने ज़माने में लिखे गए पवित्र ग्रंथ सभी लिखित भाषा का रूप है।
3. सांकेतिक भाषा
जब अपने विचारों या फिर किस भी बात को संकेतो के रूप में व्यक्त किया जाता है तो उसे हम सांकेतिक भाषा के रूप में जानते हैं। सांकेतिक भाषा पुराने समय में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसे हम दिव्यांग लोगो के लिए भी उपयोग करते हैं। ट्रैफिक नियमों को दर्शाने के लिए भी सांकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता है।
सांकेतिक भाषा के उदाहरण
ट्रैफिक नियमों को दर्शाने के लिए सांकेतिक भाषा का उपयोग किया जाता है। प्राचीन समय में जब मनुष्य बोलना नहीं जानता था वो वह भी चित्र बनाकर सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल करता था.
भाषा का महत्व
भाषा हमारे जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। दुनिया सभी जीवों में एक मानव ही ऐसी प्रजाति है जो कि भाषा के विभन्न रूप के माध्यम से संचार कर सकता है और अपनी भावना व विचारों को दूसरे व्यक्तियों तक पहुंचा सकता है। भाषा के ज्ञान की वजह से ही आज हम इतने आगे बढ़ पाए हैं। हर क्षेत्र में अपनी एक अलग भाषा होता है और वजह के लोग उस भाषा के ज्ञान की वजह से अपनी बात प्रभावी रूप से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा पाते हैं। अगर हम कोई भी भाषा को सीखना चाहते हैं तो इसके लिए हमें उसके शब्दों, संरचना, व्याकरण और वर्णों को ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।
जब कोई भी बच्चा पैदा होता है तो उसे किसी भी भाषा का ज्ञान नहीं होता। लेकिन जब वो बड़ा होता है तो धीरे धीरे अपने परिवार और आसपास के लोगो से वह भाषा को सीखता है। वह जब और बड़ा होता है तो धीरे धीरे खुद से शब्दों को बोलने की कोशिश करता है और खुद से वाक्य बनाना भी सीख जाता है।