Samas in hindi 5 6 7 ,8 9 10: समास शब्द का अर्थ होता है दो शब्दों का मेल या “सम्मिलन”। समास शब्द दो शब्दों के मेल से मिलकर बना हुआ है। सम् और आस, सम् का अर्थ होता है संछिप्त और आस का मतलब होता है शब्द। इसका मतलब यह है कि समास का अर्थ संक्षिप्त कथन होता है। आपको बता दें कि समास के दो प्रमुख भाग होते हैं – पूर्व पद और उत्तर पद। पूर्व पद समास का आधार होता है, जिसके द्वारा शब्दों को जोड़ा जाता है। उत्तर पद समास का अंग होता है, जिसके द्वारा समास का अर्थ निकलता है। अगर आप समास के बारे में विस्तार से पढना चाहते हैं तो यह लेख आपके बेहद काम का है। इस लेख में हम आपको समास के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं।

समास की परिभाषा
ऐसा सार्थक शब्द जो कि दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बना होता है। समास से मिलकर बनने वाले पद को समस्त पद/सामासिक पद कहते हैं।
समास विग्रह
समस्त पद/सामासिक पद के सभी पदों को अलग अलग किया जाता है तो उसे समास विग्रह कहते हैं।
समास की रचना
समास दो पदों से मिलकर बना होता है जिसमे एक पूर्व पद और दूसरा उत्तर पद कहते हैं। जैसे गुरुकुल। जिसमे गुरु पूर्व पद है और कुल उत्तर पद है।
उदाहरण के रूप में:
- अनुशासन (अनुशासना + आसन)
- आश्वासन (आशा + आसन)
- गुरुकुल (गुरु + कुल)
- चायवाला (चाय + वाला)
- दिनमान (दिन + मान)
- पशुपति (पशु + पति)
- पुस्तकालय (पुस्तक + आलय)
- मनोहर (मन + मोह)
- विद्यार्थी (विद्या + अर्थी)
- संगणक (संगणक = संख्या + गणक)
समास कितने प्रकार के होते हैं (समास के भेद)
समास 6 प्रकार के होते हैं जिनके नाम हमने नीचे दिए हैं।
1. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas Ki Paribhasha)
ऐसे समास जिनमे पूर्व पद या प्रथम पद प्रधान होता है और समस्त पद क्रिया विशेषण अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
अव्ययीभाव समास के उदहारण
- निस्संदेह – बिना संदेह के
- बेनाम -बिना नाम के
- भरपेट : पेट भर कर
- रातभर : पूरी रात
- रातोंरात – रात ही रात में
- घडी-घडी- हर घडी
2. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas Ki Paribhasha)
ऐसे समास जिसमे उत्तर पद या द्वितीय पद प्रदान होता है उसे तत्पुरुष समास कहते है।
तत्पुरुष समास के उदहारण
- स्वर्गप्राप्त = स्वर्ग को प्राप्त
- देशभक्ति = देश के लिए भक्ति
- पापमुक्त = पाप से मुक्त
- चर्मरोग = चर्म का रोग
- आत्मनिर्भर = स्वयं पर निर्भर
- सिरदर्द = सिर में दर्द
तत्पुरुष समास के भेद
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- सम्प्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- सम्बन्ध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
3. द्वंद्व समास (dvandva samas ki paribhasha)
ऐसे समास जिनमे प्रथम और द्वितीय दोनों पद प्रधान होते हैं उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
द्वंद्व समास के उदहारण
- दिन-रात = दिन और रात
- कृष्णार्जुन = कृष्ण और अर्जुन
- शीतातप = शीत या आतप
- दाल-रोटी = दाल और रोटी
- शीतोष्ण = शीत या उष्ण
- देश-विदेश = देश और विदेश
- जलवायु = जल और वायु
- सम्मान-अपमान = सम्मान और अपमान
4. बहुव्रीहि समास
ऐसे समास जिनमे प्रथम पद और द्वितीय पद दोनों अपना मूल अर्थ खोकर कोई अन्य अर्थ प्रकट करते है उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
बहुव्रीहि समास के उदहारण
- त्रिनेत्र = तीन हैं नेत्र हैं जिनके अर्थात् शिव जी
- चंद्रमौली = चंद्र है मौली पर जिनके अर्थात शिव जी
- चंद्रशेखर = चंद्र है शेखर पर जिनके अर्थात् शिव जी
- तिरंगा = तीन है रंग जिसमें अर्थात राष्ट्रध्वज
- लम्बोदर = लम्बा है उदर जिनका अर्थात गणेश जी
5. दिगु समास
ऐसा सामासिक पद जिसमे प्रथम पद संख्यावाचक विशेषण हो उसे दिगु समास कहते हैं।
दिगु समास के उदहारण
- एक तरफा- एक तरफ वाला
- षड्यंत्र- छह यंत्रों का समूह
- षड्ऋतु- षट् ऋतुओं का समाहार
- षडरस- छह रसों का समूह
- इकलौता- एक ही है जो
- द्विगु- दो गौओं का समूह
- त्रिभुज- तीन भुजाओं वाला
- त्रिवेणी- तीन वेणियाँ का समूह
- त्रिवेद- तीन वेदों का समूह
- त्रिवेदी- तीन वेदों का ज्ञाता
- त्रिगुण- तीन गुण वालामी
- तिकोना- तीन कोनों का
6. कर्मधारय समास
ऐसा सामासिक पद जिसमें उत्तर पद प्रधान होता है और पूर्व व उत्तर पद में उपमान-उपमेय अथवा विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है वह कर्मधारय समास कहलाता है।
कर्मधारय समास के उदहारण
- सज्जन- सत्य है जो
- नीलगाय- नीली है जो गाय
- भुजदंड- दंड के समान पूजा
- प्राण प्रिय- प्राणों के समान प्रिय
- ज्ञान धन- ज्ञान रूपी धनपुत्र
- रतन- पुत्र रूपी रतन
- भवजल- भव रूपी जल