
Hindi sulekh: जब कोई भी बच्चे छोटे हैं होते तो उनको लिखना सिखाना बेहद जरुरी होता है। सुलेख का मतलब होता है शब्दों को साफ़ और अच्छी राइटिंग में लिखना। इसके अलावा जब बच्चो को जो वाक्य उनकी लिखावट और मात्रा में सुधार करने के लिए बोलकर लिखाए जाते हैं उन्हें सुलेख कहा जाता है। सुलेख लिखने से छात्रों की गति बढती है और उनकी मात्रा व लिखावट में भी सुधार होता है। सुलेख लेखन बच्चों के भाषा विकास को बढाता है और शब्दावली, वाक्य रचना, वाक्य संरचना और वाक्यों के प्रयोग को सीखने में भी मदद करता है। आपको बता दें कि सुलेख लेखन की एक कला है जो कि 1 से 8 तक के बच्चों के जरुरी होती है। जिसको प्रैक्टिस करने से उनकी लिखावट में बहुत अच्छा सुधार होता है।
सुलेख क्या है (Sulekh in Hindi)
सीधे शब्दों में कहें तो सुलेख का मतलब होता है साफ़ और सुंदर शब्दों में लिखना। इससे छात्र लिखना सीख पाते हैं और इसमें छात्रों या बच्चो को बोलकर वाक्य लिखवाए जाते हैं। आइये अब आपको सुलेख के महत्व के बारे मे बताते हैं।
सुलेख का क्या महत्व है
जब आपके बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें लिखना सिखाना बहुत जरुरी होता है और सिर्फ लिखना ही नहीं बल्कि उनका साफ़ अक्षरों में शब्दों को लिखना और सही गति से लिखना बहुत जरुरी होता है। स्कूल में शिक्षक भी अपने छात्रों को लिखावट सुधारने, सही और शुद्ध तरीके से लिखवाने के लिए सुलेख की मदद लेते हैं। क्योंकि जब बच्चे छोटे होते हैं तो उनकी लिखावट सुधारना बहुत आसान होता है लेकिन बड़े होने उनकी लिखावट और गलतियों पर काम करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए छात्रों को शुद्ध, सरल और प्रभावी भाषा सिखाने के लिए सुलेख की प्रैक्टिस करवाई जाती है।
उनके लिख सिर्फ लिखना ही जरुरी नहीं होता बल्कि उनके लिए साफ़ और स्पष्ट अक्षरों में अक्षरों,शब्दो और वाक्यों को उचित गति से लिखना बहुत जरुरी होता है। शिक्षको का उद्देश्य अपने छात्रों को शुद्ध, सरल और प्रभावी भाषा सिखाना होता है। अगर सुलेख शुद्ध नहीं होता तो बच्चो में भाषा का ज्ञान अधुरा रह जाता है। इसलिए छोटे बच्चो की लिखावट सुधारने के लिए उन्हें सुलेख लिखवाए जाते हैं। जब बच्चे छोटे होते हैं तो उनकी लिखावट को सुधारा जा सकता है। लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उनकी गलतियों और लिखावट को सुधारना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए बच्चो को छोटी कक्षा में सुलेख लिखवाए जाते।
सुलेख कैसे लिखते हैं –Sulekh Writing in Hindi
- सुलेख लिखते समय व्याकरण पर ध्यान देना चाहिए।
- शब्दों के बीच उचित दूरी होना चाहिए।
- इसके सही गति के साथ लिखना चाहिए।
- इसे लिखते समय लिखावट पर ध्यान देना चाहिए।
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- मित्रों के साथ खेलना चाहिए।
- स्कूल टाइम पर पहुंचना जरूरी है।
- वन में पेड़ों की रक्षा करनी चाहिए।
- बच्चों को अध्ययन में लगना चाहिए।
- मिठाई खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं है।
- स्वच्छता को महत्व देना चाहिए।
- खाने में हरी सब्जियां खानी चाहिए।
- खेल में समय बिताना चाहिए।
- बच्चों को बड़ों का सम्मान करना चाहिए।
- विद्यालय के नियमों का पालन करना चाहिए।
- पौधों को पानी देना जरूरी है।
- पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए।
- दोस्तों के साथ सहयोग करना चाहिए।
- प्रदूषण कम करना जरूरी है।
- पढ़ाई में मेहनत करनी चाहिए।
- अध्ययन के समय मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- विद्यालय के बाद घर की सफाई करनी चाहिए।
- खेल में निपुण होने के लिए अधिक प्रैक्टिस करनी चाहिए।
- परिवार के लोगो से अच्छे संबंध बनाने चाहिए।
- परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना चाहिए।
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- सभी बच्चों को रोज स्कूल जाना चाहिए।
- बच्चों को समय पर सोना चाहिए।
- शिक्षकों की सुनना जरूरी है।
- खेलना स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है।
- हमें बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए।
- परिवार में एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए।
- स्वच्छता को अपनाना चाहिए।
- परिवार के सभी सदस्यों के साथ समय बिताना चाहिए।
- वन्यजीवन की रक्षा करनी चाहिए।
- अध्ययन के लिए सबल व्यक्ति बनना चाहिए।
- हमें प्रकृति से प्रेम करना चाहिए।
- हमें स्वस्थ भोजन खाना चाहिए।
- समय का सदुपयोग करना चाहिए।
- अध्ययन में मेहनत करनी चाहिए।
- नाचना-गाना बच्चों के विकास के लिए अच्छा है।
- खाना खाने के बाद हाथ धोना चाहिए।
- शरारत नहीं करनी चाहिए।
- हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाना चाहिए।
- अपने माता पिता की बात मानना चाहिए।
- नेतृत्व कौशल को विकसित करना चाहिए।
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- सभी छात्रों को अपनी पढ़ाई में मेहनत करनी चाहिए।
- विद्यालय में समय पर पहुँचना अच्छी आदत है।
- विद्यालय में सभी मित्रों के साथ मिलकर खेलना चाहिए।
- शिक्षकों के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।
- विद्यालय के नियमों का पालन करना जरूरी है।
- स्वच्छता के लिए सभी छात्रों को सहयोग करना चाहिए।
- विद्यालय के परिसर को हरा-भरा बनाए रखना आवश्यक है।
- विद्यालय के लाइब्रेरी में बढ़िया पुस्तकें पढ़नी चाहिए।
- सभी विद्यार्थियों को स्वस्थ और पौष्टिक खाने की आदत डालनी चाहिए।
- खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने के लिए विद्यालय में खेलना चाहिए।